तेरी याद में जब वो लम्हा थामा मैंने ...
वक़्त के ठहर जाने का जैसे गुमान हुआ !
बेखबर इससे ,
आसमाँ में जब तुझे ढूंडा मैंने ..
रुई के फायों सी,
सफ़ेद कतरनों की बौछार का आगाज़ हुआ.. !!
तेरी दीवानगी में ऐसी बेसुध क्या हुई मैं ..
चेहरे पर बर्फ की इस चादर का एहसास भी ना हुआ ...!
जब रूह में मेरी कम्पन हुई ,
क्या तुझे इसका एहसास ना हुआ ...!
मेरे वजूद में बसा है तू ऐसा ...
क्यों तुझे मेरे जख्मों का फिर अंदाज़ ना हुआ !!
सदियाँ क्यों बीत गयी फिर पल भर में
जब सपनो में तेरा दीदार हुआ ..!!
ज़िन्दगी की इस सुर्ख सफ़ेद चादर में ,
क्यों कतरनों का ऐसा गुबार उठा ... !
रेशा - रेशा जब उधड़ा मेरा दिल ....
एक रेशा तेरे नाम का भी मिला ..!!
दो गज़ ज़मीन पर मुझे ..
तेरे कदमो का जब एहसास हुआ ...
पगों में लिपटा वो रेशा ऐसा ..
की बेड़ियों का सा अंजाम दिया !
आहिस्ता से जुबां पर जब तेरा नाम आया ..
धीरे से फिर क्यों उसने तेरा नाम सिया ...!!
रूह से फिर क्यों सिहरन उठी ऐसी...
जैसे किसी ने तेरा नाम हो लिया ...!
बर्फ की इन सफ़ेद कतरनों ने ,
रुखसार पर मेरे कुछ ऐसा क्या बयां किया ..
शायद हौले से , फिर तेरे होने का पैगाम दिया !!
यादों के इस जलसे में
एक लश्कर -
तेरे नाम भी किया ...!
ज़िन्दगी की इस चादार में ..
एक पैबंद -
तेरे नाम का भी सिया...!!
4th July 2011. Enjoy!!... God bless!
एक पैबंद -
ReplyDeleteतेरे नाम का भी सिया...!! SIMPLY BEAUTIFUL!!!!...
THANK YOU PUSHPENDRA... :)
ReplyDeleteVery Good...
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