Tuesday, June 17, 2014

नयी सुबह ,
नयी शुरुआत,
पुलकित सा मन,
रचने लगा 
नया इतिहास.. 

और मैं ,
काल चक्र में ,
अवतरित हो रही 
नवरचित कल्पना 
की साक्षी .. 

लिखने लगी हूँ 
फिर ,
एक नया अध्याय  
आत्मस्वरूप का .... !!

नन्दिता ( 17/06/2014)

Thursday, June 5, 2014



"ज़ुबाँ की तासीर ऐसी रहे ,
जैसे, प्रेम की धारा बहती हो ....

हाँ, आज ये शम्मा ना बुझे , 
जश्न ए मोहब्बत कुछ ऐसा हो...!!!" . 

~ नंदिता (२५/०५/१४ )

"घुप्प से फैले इस अँधेरे में 
पड़ने लगी जब हल्की फुहारें ...

तिमिरण सम जीवन में 
नवोदित हुईं तिमिरारी बहारें...।" . 

~ नन्दिता ( ३०/०५/१४) ....... After the Delhi Storm ...  

तिमिरण - पूर्ण अन्धकार , तिमिरारी - सूर्य की रौशनी