Thursday, July 28, 2011


हम है इस पल यहाँ ,
होँगे किस पल कहाँ ..
रहेंगी  यहाँ तब भी,
हमारे comments की ये निशानियाँ !

पलट के देखेंगे इधर
तो याद आयेंगे ये सब पल,
हमने जब भी लिखा यहाँ..
तो आपने भी कुछ  किया बयां
युहीं सिलसिला चलता रहा
बनती रही FB/ Blogs की दोस्ती की ये दास्ताँ !

हम है इस पल यहाँ 
होँगे किस पल कहाँ
रहेगी सदा यहाँ..
इस पल की ये दास्ताँ !


 हर वो लम्हा जो वक़्त के साथ ख़त्म हो जाता है..और वहीँ उसी समय उदित करता है एक और नया लम्हा ..एक नयी दास्ताँ लिए हुए ...  समर्पित है कुछ शब्द उन्ही कुछ ख़ास लम्हों के लिए ....और आप सभी के  लिए भी .. :) 





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