Monday, July 4, 2011

An ODE to my Pen... अपनी लेखनी को सादर समर्पित ... :)

याद है तुम्हें,
जब चूमा था 
पहली बार तुमने 
मेरे हाथों को ...!
कितनी 
सहमी , सकुचाई
थीं  तुम ;
जब मैंने 
प्यार से चेहरे को तुम्हारे 
लिया था अपने हाथों में !

मिलन की वो घड़ी,
आज भी चित्रांकित है,
मेरे अन्दर....
शर्म और संकोच में  लिपटी 
कितनी हिचकिचा रही थीं तुम ...

और मेरे विचारों का तूफ़ान ,
जैसे प्रियेसी से मिलने को
प्रिय हो आतुर  ...
बिखेरने लगा था,
लालिमा
तुम्हारे होंठो की ...  !

रचा डाली थी तब 
हमने , 
प्रथम कृति ...
मेरे जीवन की....!!

No comments:

Post a Comment