Monday, October 24, 2011

"वो शब् -ऐ - हयात मे बैठे , महफ़िल को सजाते रहे ...
एक प्यारी सी वो मुहब्बत थी ..
जिसका जनाजा वहीँ से रुखसत भी हुआ ...
और उन्हें पता भी ना चला ...!!! "
.... ;) ;)


"अर्श से फर्श पर आये तो भी कोई गम नहीं ..
ज़र्रा ज़र्रा किस्मत को जोड़ कर हमने फिर ख्वाब सिये ,
इंशाल्लाह !!!... हम भी किसी से कम नहीं ...!!"
- नंदिता


"बातों बातों में अफसाना बन गया ...
गुफ्तगू क्यों कुछ चली ऐसी ..
वो जो अपना था ...बेगाना बन गया ..!
वक़्त क्योंकर कुछ बह चला ऐसा ..
इंतज़ार भी तेरा .. खुद दीवाना बन गया ..!!"

;) :) ;)
Diwali mein Holi ki Masti... hehee...Enjoy!! Happy Diwali!..!!




Friday, October 7, 2011

तेरे दर पर मेरे मौला ,जब मैंने सदका किया ..
बरसों का जैसे मानो , एक वाक्फा सा हुआ..!

तेरी उस नुमाया  सफ़ेद चिलमन में लहराती ,
लाल रेशम कि उस डोर से , नज़रों का जब सामना हुआ..
संगमरमर कि उस तक्सीस पर खिंची चली आई मैं ..
आज मेरे माज़ी ने जब मुझसे फिर रूबरू किया ..!!

(मेरे मौला -
वो हसरतों का जो रह गया था गुबार ,
आज मेरे अश्कों से बह निकला बेशुमार ,
फिर क्यों दुआ में इक हर्फ़ उसके नाम का आया ..
जब इस लाल रेशम कि डोर से हुआ मेरा दीदार ..!! )

मेरी दीवानगी ने ये कैसी महफ़िल सजाई ..
मेरे ख्वाजा आज तुझे मैंने इसका समायीन रखा..!
वो इक अश्क जो गिरा , बांधा उसने कुछ यूँ समां..
होठों से मोती मानो कुछ यूँ ही हो झर उठा ..!!
उस लाल डोरे से बंधी थी जो ख्वाहिशें ,
गाँठ दर गाँठ खुलती गयीं,आज उन्हें मैंने आज़ाद किया..!!

इस मंज़रनामे कि तहरीर मेरे मौला तूने है लिखी  
मुझसे अल्हेदा हो, आज मेरी यादों का जश्न बह चला ..!!
सुरमई सी शाम ढलती गई, जुगनुओं से समां रौशन हुआ ,
इस मुक़द्दस सी महफ़िल में मैंने ,आज एक 'उर्स' उसके नाम रखा ..!!

- नंदिता ( 6-Oct-2011)

word meanings:

मुक़द्दस - sacred, अल्हेदा - seperate, समायीन - audience, 
 वाक्फा : pause/ break ,   माज़ी -past,



नुमाया - significant , तक्सीस - partition, हर्फ़ - word/ letter,
उर्स - An yearly festival dedicated to someone generally to a saint ... where song/ poetry recital, Qawwaali etc are organised in memory of that particular being.