Thursday, July 14, 2011

:) 
I believe in the concept of Buddhahood...that each of us has a strong buddha nature within us... it only needs to be invoked...... .

एक जूनून
मेरे दिल में भी
दीवानगी की तरह
रहता है दौड़ता  .....

ये जूनून है
उस खुमार का 
उस एहसास का
हाँ ,
ये जूनून है मेरे प्यार का.....

ये सन्नाटा जो चीखता है ...
इन गलियों में ..
क्यों ना आज,
तेरे दिल में इसकी आवाज़ फैला दूँ मैं ..!
हाँ , क्यों ना ...
फिर एक नया साज़ छेड़ दूँ मैं ..
प्यार का , उल्लास का .. !!

एक आवाज़ उठती है
मेरे ज़ेहन से ...
के ले लूँ तेरे बंजर मन को 
अपने आँचल में ..

मिटा दूँ तेरा अक्स ...
वो हवानियत का ...
फैला दूँ तेरे दामन में 
सैलाब इंसानियत का ..!

हाँ ..
फैला दूँ जग में वो लम्हा ...
प्यार का , दुलार का ...
हाँ मधुर स्मित हास का .....!!!

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