शनि ने गुरु पर
जब डाली तिरछी दृष्टी..
सरकार के पैरो तले
मानो जमीन गई हो खिस्की !
गुरु के बळ पर
जब सरकार ने दिखाई अपनी पैठ..
शनि देव बोले अरे ओ अन्ना ,
आ तू जंतर मंतर पर बैठ !
देगी जनता अब तेरा साथ ,
क्योकी हरदम रेहता है
मेरा उनके सर पर हाथ !
गुरु सर झुकाय बोले
नही रखना चाहता
अब कोई द्वेष मैं..
क्योकी राशी बदल
जा रहा हू अब मैं मेष मे !
विनंती है शनिदेव ,
रहे तब तक कृपा तुम्हारी
मेरे बाकी मीन काल के अवशेष मे !
शनि बोले गुरुदेव
क्यो पडे हो इस झनझट जाल मे
सरकार को सिखा देते
सादगी से जीना
अपने इस सुनहरे काळ मे !
जो तुम्हे ना समझ पाया
उसका हुआ बनटाधार है ,
देवो के हो तुम गुरु ,
ये सब तुम्हारा ही तो चमत्कार है !!
वाह रे शनि , वाह रे गुरु ,
देख नंदिता आनंदित हुई ,
कैसा फंसा तुम्हारी माया मे
ये सारा संसार है..!
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