ख़ामोशी - ५
अपनी बात बयां करते रहे ..
नादाँ हम, शब्दों के इस मंथन में
यूँ ही तुम्हारी बाट जोहते रहे ..!!
नासमझी का ये सिलसिला यूँ ही चलता रहा ,
नाउम्मीद से ये फासले और बड़ते गए ..!
तेरे मेरे दरमियाँ,
अधूरे से वो जो ख्वाब थे; बुनते गए ,उधड़ते गए ..!
रह गया पीछे , खामोश सा ,एक दर्द भरा रिश्ता,
क्यों नहीं उससे भी, हम बिछुड़ से गए..!
क्यों बार बार तुम और मैं ,
इस दर्द कि तासीर से उलझते गए , जुड़ते गए ..!!
तुम खामोशी से , अपनी बात बयां करते रहे ,
नादाँ हम, शब्दों में तुम्हारी बाट जोहते रहे ...!!
नंदिता (१/१२/२०११ )
wah Nandita wah.....dil ki kalam se likha dil tak seedha pahunch gaya....bahut sundar!!!!!!!
ReplyDeleteThank you! Thank you..!!... Aapki Zarranawazi!
ReplyDeleteTahe Dil se aapka Dhanyawaad.... Dil Ki Awaaz hai..aakhir Dard E Bayan wahi se hi to hota hai.. ;)
Love and light!!!