कोहरे से खेली आज जब छुपन छुपाई ..
साड्डी गड्डी ने भी ऐंठ दिखाई ..
DND Flyway में कुछ ऐसे इतराई
लगा बादलों में हो रही है फिसलम फिसलाई ..!
ये देख बचपन कि हमें बहुत याद आई ,
जब कोहरा होता था , परियों कि रज़ाई ..
क्षण भर को इक नन्ही परी , मेरे अन्दर भी इठलाई..!
पर तभी steering wheel ने ऐसी swing दिखाई..
और एक झटके में यथार्थ ने , दिमाग में दस्तक लगाई..
हाय ! तब दिल्ली कि इस सर्दी को दी हमने राम दुहाई ..!
साड्डी गड्डी को भी हमने डांट लगाई ..
तुम्हारी इन अठखेलियों से मेरी जान पर बन आई..!!
कोहरे से भी हमने तब मिन्नत लगाई ..
ना करो इस सर्दी में ऐसी छुप्पन छुपाई..!!
- नंदिता ( १९/१२/२०११ )
वाह वाह ... क्या कमाल का लिखा है ... मौसम की भी कर ली खिंचाई ... लाजवाब ...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति.....
ReplyDeleteThank you Digambar ji & India Darpan....
ReplyDeletewas just trying to pen down a fun moment....
Thanks! for liking it..
warm regards!