मेरे नज़रिए से देखो तो, बड़ी दिलवाली है ये दिल्ली.. .
कुछ असमंजस , कुछ हौसलों से भरे .
रखे मैने कदम थे जहाँ, वो शहर था दिल्ली..
खाली थे हाथ , बस खवाबों से भरी थी झोली मेरी ,
लिया मुझे हाथों हाथ ..जिस शहर ने , वो शहर था दिल्ली ,
चुन चुनकर बुने ख्वाब मैंने जिसमें ..
वो सिलाई थी दिलाई जिसने , उस शहर का नाम था दिल्ली !
मैंने तो बस चाहा था इक छोटा सा घरौंदा अपना ..
जिसने अपने दिल को ही नहीं ,
दुनिया को बना दिया आशियाँ मेरा ,
उस शहर का नाम था दिल्ली .. !
मेरी नज़र से देखो तो .. दिल वालों कि है ये दिल्ली ..
हर शक्श जो आया यहाँ ,उसके खाव्बों का अरमान है ये दिल्ली !
नहीं बन रहे हम एवैयीं शेखचिल्ली ..
कहे कोई तुझे कुछ भी ,
तुझ पर हम हैं कुर्बान, ऐ! दिल्ली ..!!
दिया तूने बहुत कुछ ,तेरे शुक्रान है ऐ! दिल्ली ..
मेरी नज़र से देखो तो , मेरी जान है ये दिल्ली ..!!
नंदिता (१५/१२/२०११ )
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