"कुछ कुछ रूमानी सी ...
कुछ कुछ रूहानी सी ..
नज़्म, ये तेरी-मेरी
गा रही है ज़िन्दगी ..!!"
वो हर्फ़ जो गले में
रुंधे पड़े हुए थे कई ..
आज उन्हें आवाज़,
दिला रही है ज़िन्दगी ..।
हाँ , तेरा मेरा गीत
गुनगुना रही है ज़िन्दगी ...।।
वक़्त की बंदिश में
एक लम्हा,
जो खो गया था कभी
उस लम्हे को सोज़
बना रही है ज़िन्दगी ..।।
हाँ ,
एक नयी सरगम
गुनगुना रही है ज़िन्दगी।।
तेरी यादें जो महफूज़ थीं
इक संदूक में कहीं ..
उन्हें खुली हवा में
सहला रही है ज़िन्दगी ..।
उनकी आज़ादी का जश्न
मना रही है ज़िन्दगी .. ।।
कुछ कुछ रूमानी सी
कुछ कुछ रूहानी सी ,
हाँ , तुझे मुझे ..
इक सुफिआना रक्स में ,
झुमा रही है ज़िन्दगी ...।।
~ नंदिता ( 27/11/12)
बहुत खुबसूरत एहसास :
ReplyDeleteमेरे नवीनतम प्रकाशन "पर्यावरण " ,
http://kpk-vichar.blogspot.in ,me padhare aur samarthan kare
Dhanyawaad... thanks for your encouragement always... regards!
ReplyDeleteजिंदगी जो न करे वो कम है ...
ReplyDeleteखूबसूरत एहसास लिए लाजवाब रचना ...
Thank you... warm regards!
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