" पतझड़ में भी बहारें ढूँढता ,
यादों का कारवां ..
शब्दों का क्या कभी,
मोहताज रहा ..।।
नज़रों ने ढूँढा था नज़रों को
जिस तरह
वो वाकया भी बेमिसाल रहा ..।
किताबों के पन्नों में ,
गुल न दबा था कभी कोई ..
स्मृतियों का गुलिस्ताँ
फिर भी आबाद रहा ..।।
क़दमों तले ,
सूखे चरमराते इन पत्तों में ,
ज़िन्दगी तेरी
तल्खीयों का एहसास हुआ .. ।
फिर भी, इस दिल ने,
यादों का गुलिस्ताँ समेटे ,
आज पतझड़ को
बहारों से आबाद किया ...।।
नंदिता ( 21/11/12 )
यादों का कारवां ..
शब्दों का क्या कभी,
मोहताज रहा ..।।
नज़रों ने ढूँढा था नज़रों को
जिस तरह
वो वाकया भी बेमिसाल रहा ..।
किताबों के पन्नों में ,
गुल न दबा था कभी कोई ..
स्मृतियों का गुलिस्ताँ
फिर भी आबाद रहा ..।।
क़दमों तले ,
सूखे चरमराते इन पत्तों में ,
ज़िन्दगी तेरी
तल्खीयों का एहसास हुआ .. ।
फिर भी, इस दिल ने,
यादों का गुलिस्ताँ समेटे ,
आज पतझड़ को
बहारों से आबाद किया ...।।
नंदिता ( 21/11/12 )
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