यादें ..
गुनगुनी धूप सी ..
मेरी रूह को छु जातीं ..
कभी मुस्कुराती ..
खिलखिलाती ...
कभी उदास हो जाती ..
या कुछ याद कर
शर्मा जातीं ...!
यादें ..
कुछ खट्टी सी , कुछ मीठी सी
होठों से खिल कर ,
आँखों कि नमीं में
कभी कभी ,
गुपचुप गुपचुप समां जातीं..!
यादें ..
कुछ रूमानियत कि ,
कुछ मासूमियत कि ,
कुछ शरारत कि ,कुछ खुमारी कि ..
उन गुज़रे लम्हों कि ,
एक बज़्म सी फैला जातीं ..!!
यादें..
आंवले के पेड़ तले
उस अलसाई धूप सी..
बचपन के आँगन में
फुदक सी जातीं ...!
आंवलों और कंचों में
तोल मोल के बोल सी ..
या फिर ,
पतंगों के पेंचों में कहीं
उलझ सी जातीं ...!
यादें ...
कुछ लजाई सी ...
उस लेम्प पोस्ट के नीचे ,
बेंच पर तेरे बैठे होने का ..
एहसास रूबरू करा जाती ..!
यादें ,
कुछ रूमानी सी ..
सफ़ेद शर्ट और नीली जींस में ,
फूलों को पीछे छुपाये ,
हॉस्टल के गेट में इंतज़ार करते
तेरे मुस्कुराते चेहरे का
तस्सवुर करा जातीं ...!
यादें..
गुनगुनी धूप सी ..
....
उन लम्हों को ..
फिर इक बार जी लेने कि
तिश्नगी फैला जातीं ..!
~ नंदिता ( ८/१० /२०१२ )
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