यादें ..
साँसों की बंदिशें समझाती रहीं
कुछ सुलझाती रहीं ..
कुछ उलझाती रहीं ..।
ठंडी हवा के झोंकों में ..
तेरी खुशबु फैलाती रहीं ..
लबों में सरसराते हुए ..
गेसुओं में लहराती रहीं ..।
यादें ...
वक़्त की छावं में ,
ऐसा नूर फैलाती रहीं .. ।
फैसले जो बढ़ाते हैं फासले ..
हौले से ,
उनपर मलहम लगाती रहीं ..।
यादें ..
तेरे मेरे दरमियाँ ..
हर्फों में डूबे , इन फासलों को ..
सहलाती रही ..
सिमटाती रहीं ...
यादों में ही सही ..
इक साहिल बंधवाती रहीं ..।।
यादें ..
अपनी तलहटी में ..
तेरे क़दमों की आहट का
हैं एहसास कराती रहीं ..।
देखो ,
उन तमाम मसलों को ..
ख़ामोशी से ,
कैसे हैं सुलझाती रहीं ...।।
- नन्दिता ( 11/10/12)
देखो ,
ReplyDeleteउन तमाम मसलों को ..
ख़ामोशी से ,
कैसे हैं सुलझाती रहीं ...।
Lovely lines!
Dhanyawaad...!.. :)
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