Wednesday, August 17, 2011


मुद्दतों बाद निकली है 
ये जोश ऐ कलम ...

झेल लेंगे हम आज 
ज़माने के हम हर सितम..
वक़्त क इस धार को 
पलटते  जायेंगे हम
हर पल,  हर दम ..

मेरी -तेरी ये दीवानगी ,
गर हो भी जाये जो ख़तम...!
जूनून ऐ अल्फाजों का ये जत्था 
चलता रहेगा यूँ ही मध्यम- मध्यम !

फीकी ना पड़ेगी ये स्याही ..
खायी है मेरी कलम ने ऐसी कसम..!

नंदिता ( 17/08/11)

1 comment:

  1. On the present trends of Anti corruption ride... :)
    In full support of Anna... :)

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