Monday, August 8, 2011


कुछ पल ऐसे होते हैं ,
क्षण भंगुर मदमस्त जीवन में 
खुशबू अपनी फैला जाते हैं..
यादों की तलहटी में 
मधुर स्मृति बन जाते हैं ..!!

सुंदर प्रभात की बेला पर 
लालिमा फैलाते हैं ..
तारों की झंकार पर ,
अपना नृत्य दिखाते हैं ..!!

मन में सूनापन जब आता 
आकाश वीराना लगता है ..
तब पक्षी बन वो विचरते हैं ..
और अपना अस्तित्व बताते हैं !
आँखों से वर्षा जब होती ..
पलकों में शबनम बन जाते हैं..!!

हे सौम्यमायी पल ऐसे ,
मेरे पास आते रहना ..!
सूनी आँखों में मेरी ..
अपना अस्तित्व जतलाते रहना !!

- नंदिता ( 18th Feb' 88)

3 comments:

  1. ॐ... अद्भुत अभिव्यक्ति

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  2. Thank you Swami ji... Aum!..Regards!

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  3. सुंदर रचना के लिए आपको बधाई

    संजय कुमार
    आदत.. मुस्कुराने की
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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