Thursday, June 5, 2014



"ज़ुबाँ की तासीर ऐसी रहे ,
जैसे, प्रेम की धारा बहती हो ....

हाँ, आज ये शम्मा ना बुझे , 
जश्न ए मोहब्बत कुछ ऐसा हो...!!!" . 

~ नंदिता (२५/०५/१४ )

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