पेड़ों पे लिखी इबारतें हवा बन के गूंजती हीन फिजां में ...अच्छी रचना ...
धन्यवाद ..!!
सच कहाँ आपने प्रेम के शब्द तोकुछ अधरों पर ठहरे हैं।कुछ आँखों में विखरे हैं।http://savanxxx.blogspot.in
धन्यवाद ..!!.. :)
पेड़ों पे लिखी इबारतें हवा बन के गूंजती हीन फिजां में ...
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कुछ आँखों में विखरे हैं।
http://savanxxx.blogspot.in
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