"तकिये के लिहाफ में ,
बसी तेरी खुशबु....
तेरे न होने पर भी
तेरे होने का
एहसास दिला जाती हैं।
सुबह ,चाय के कप से
उड़ते गर्म फ़ाहे ....
तेरी आँखों में बसी
बदमाशियों का,
अंदाज़ बयां कर जाती हैं।
तेरे न रहने पर भी ,
तेरे क़दमों की आहट का
एक नरम सा एहसास....
पर्दों में लटकी नन्ही घंटियों
की आवाज़ करा जाती है।
कुछ ऐसी ही होती हैं ,
दिल से जुड़े रिश्तों की ज़ुबाँ...
दूरियों में भी ,
एक खूबसूरत से बंधन का,
एहसास करा जाती हैं। "
नंदिता ( ३०/०४/२०१४ )
हुत बहुत खूबसूरत ! हर पंक्ति मन की गहराइयों से निकली प्रतीत होती है
ReplyDeleteDhanyawaad...!!..
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