नयी सुबह ,
नयी शुरुआत,
पुलकित सा मन,
रचने लगा
नया इतिहास..
और मैं ,
काल चक्र में ,
अवतरित हो रही
नवरचित कल्पना
की साक्षी ..
लिखने लगी हूँ
फिर ,
एक नया अध्याय
आत्मस्वरूप का .... !!
नन्दिता ( 17/06/2014)