Tuesday, September 17, 2013
Monday, July 1, 2013
Haan , Itni si shikayat hai tumse..!!
महादेव ,
एक छोटी सी शिकायत है तुमसे ..
तुम थे ,
पर्वत, नदी,पेड़,धरा में विलुप्त ..
अविकल सी इस झील में सुप्त ,
अडिग अचल अवस्था में लुप्त
कभी जाने पहचाने से,कभी गुप्त ..!!
और नादाँ मैं ,
चीर स्थितियाँ विक्षिप्त ..
मूक बधिर पाषाण सम
खड़े तुम में, हो आसक्त..
अविरल, ढूँढती रही अपना तत्त्व ..।
Sunday, June 9, 2013
Prem Fakira..!!
मैं इक आज़ाद ,
उन्मुक्त पवन ..
बहती रही मदमस्त
धरा हो या फिर हो गगन ..
बेफिक्र नदी सी
अठखेलियाँ खेलती
उछलती फुदकती
बहती रही ..
छन छन , छन छन।
प्रेम फकीरा ..
पर ,तुम्हारी दीं
इन उपाधियों के बंधन
में तो तप रही है
मेरी प्रेम अगन .. ।।
फिर क्यों ,
अपने इस फ़कीरी बंधन
का दे रहे हो आज मुझे
दोष , ऐसा सघन ..।।
गर प्रीत का
करते नहीं तुम हनन
गर,
बाँध लेते साहिल एक
बाहों का अपनी , चौघन ..।
देख लेते तुम भी ..
तूफानी, तब ये
जलधर घनन,
सिमट जाता कैसे ,
बाहों में तुम्हारी
बनके इक ठहराव गहन ...।। ..
प्रेम फ़कीरा ..
जाने दो ,
न कर पाओगे तुम
ये प्रीत सघन ..।
रहने दो,
मुझे यूँ ही
बनके प्रेम जोगन ..!!..
- नंदिता
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